प्रणब दा, तुस्सी ग्रेट हो!
प्रणब दा, तुस्सी ग्रेट हो! यह हम नहीं उन गांवों के लोग कह रहे हैं जिनकी किस्मत देश के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी चमका रहे हैं। प्रणब मुखर्जी ने विकास के दौड़ में पीछे रह गए गांवों को गोद लिया था। वह इन गांवों के विकास को लेकर खासे उत्साहित हैं। इन गांवों को स्मार्ट बनाने के लिए प्रणब मुखर्जी और उनकी टीम ने पूरी ताकत लगा दी है। हरियाणा, राजस्थान और उत्तराखंड के 126 गांवों को स्मार्ट बनाने के लिए प्रणब मुखर्जी ने बीड़ा उठा रखा है।
इन गांवों में फाइव एच यानी तकनीक, स्वास्थ्य, खुशी, इंसानियत और भाईचारे को बढ़ाने के मूल मंत्र पर काम चल रहा है। प्रणब मुखर्जी ने जिन 126 गांवों को स्मार्ट बनाने के लिए चुना है, उनमें सबसे ज्यादा 101 गांव हरियाणा के दो जिलों नूंह (मेवात) और गुरुग्राम के हैं।
हरियाणा, राजस्थान और उत्तराखंड के 126 गांवों को बना रहे स्मार्ट
प्रणब मुखर्जी जब देश के राष्ट्रपति थे, तो 2016 में उन्होंने हरियाणा के गुरुग्राम व मेवात जिलों के पांच गांवों को गोद लिया था। इनमें मेवात का रोजका मेव, गुरुग्राम जिले के सोहना का दौहला, अलीपुर और हरचंद तथा इसी जिले के फरुर्खनगर ब्लाक का ताजनगर गांव शामिल हैं। राष्ट्रपति पद का कार्यकाल पूरा होने के बाद इन गांवों को स्मार्ट बनाने का मिशन प्रणब मुखर्जी ने जारी रखा। उन्होंने प्रणब मुखर्जी फाउंडेशन का निर्माण किया, जिसका संचालन अब भी वह स्वयं ही कर रहे हैं।
हरियाणा के मेवात और गुरुग्राम जिलों के 101 गांव गोद लिए हैं प्रणब दा ने
फाउंडेशन की निदेशक के नाते पूर्व राष्ट्रपति की तत्कालीन सचिव ओमिता पाल की देखरेख में इन गांवों को स्मार्ट बनाने की मुहिम को गति प्रदान की जा रही है। राजस्थान के अलवर जिले के नौ तथा उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले के 16 गांव भी प्रणब दा ने गोद ले रखे हैं, जिन्हेंं स्मार्ट बनाया जाना है। अब हरियाणा के जिन 101 गांवों को प्रणब मुखर्जी फाउंडेशन ने स्मार्ट बनाने की बीड़ा उठा रखा है, उनमें मेवात के 20, गुरुग्राम जिले के सोहना ब्लाक के 60 और गुरुग्राम जिले के ही फर्रुखनगर ब्लाक के 20 गांव शामिल हैं। हरियाणा में इन गांवों की संख्या अब 105 हो गई है।
राष्ट्रपति रहते लिए थे पांच गांव गोद, बाद में 96 गांवों को लिया गोद
फाउंडेशन की डायरेक्टर एवं सलाहकार बोर्ड की सदस्य ओमिता पाल के अनुसार हरियाणा की जगमग योजना से पहले ही प्रणब मुखर्जी के गोद लिए गांवों में 24 घंटे बिजली की व्यवस्था हो गई थी। इन गांवों में लैंगिक असमानता को दूर करने, वाई-फाई की उपलब्धता, आर्गेनिक खेती, सेल्फ हेल्फ ग्रुप को प्रोत्साहन देते हुए उनके उत्पादों को बाजार उपलब्ध कराने तथा मुफ्त ट्रेनिंग की व्यवस्था की गई है। जिन स्कूलों में शिक्षकों की कमी है, वहां फाउंडेशन की ओर से शिक्षकों की नियुक्ति की गई, ताकि कोई बच्चा शिक्षा से वंचित न रह सके। कोरोना काल में वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये बच्चों की पढ़ाई जारी है।
प्रणब मुखर्जी के गोद लिए इन गांवों में जींद जिले के बीबीपुर माडल आफ वूमैन इंपावरमेंट एंड विलेज डेवलपमेंट के माडल को भी लागू किया गया है, जिसके जरिये विकास के साथ-साथ घरेलू व सामाजिक हिंसा का विरोध किया गया। यह माडल जींद जिले के बीबीपुर गांव के पूर्व सरपंच सुनील जागलान का है, जो फाउंडेशन के सलाहकार भी हैं।
ओमिता पाल ने इन गांवों में कोरोना कालम में आनलाइन क्लीनिक चलाने तथा स्कूलों में स्मार्ट क्लासरूम डेवलेप करने का भी दावा किया है। इन गांवों में 50 स्कूल ऐसे हैं, जहां मास्टर कम हैं, जिन्हेंं फाउंडेशन के खर्च पर इन स्कूलों में रख़ा गया है। पांच गांवों में आयुष केंद्र बनाए गए, जबकि 13 गांवों में खारे पानी की समस्या के चलते वाटर एटीएम लगाए गए हैं। सौ एकड़ जमीन पर किसान आर्गेनिक खेती कर रहे हैं। महिलाओं के लिए अगरबत्ती, दोने, पत्तल और थाली बनाने के रोजगार तैयार किए गए हैं।
ऐसे बदली इन गांवों की तस्वीर, लोगों की जुबानी
गुरुग्राम के दौला, नयागांव और ताजनगर में गांवों की काफी सूरत बदली है। इन गांवों में अब ग्राम सचिवालय बन गए। लोग सफाई और शिक्षा का महत्व जानने लगे हैं। बच्चियों की एजुकेशन को लेकर जागृति आई है। जलभराव की समस्या पर काफी हद तक काबू पा लिया गया है।
गरनी बाजीपुर जिले के किसान रामवीर सिंह के अनुसार फाउंडेशन ने उन्हेंं आर्गेनिक खेती के लिए बीज व अन्य प्रोत्साहन देकर प्रोत्साहित किया है। दौला गांव के ओमप्रकाश और ताजनगर के मसालों का काम करने वाले प्रदीप का कहना है कि उनके सामने मार्केटिंग के भी नए अवसर पैदा हुए हैं। बता दें कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने भी प्रणब मुखर्जी के गोद लिए गांवों में हरसंभव विकास का वादा किया था।